सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण
देश के सभी भागों में दिखाई देने वाला 2011 का पहला और सदी का सबसे लंबा चन्द्रग्रहण बुधवार को 11.53 मिनट पर आंशिक रूप से शुरू हुआ और तीन बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो गया। यह इस वर्ष के छह में से तीसरा ग्रहण है।
वर्ष 2011 इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इसमें 2041 वर्ष के बाद सर्वाधिक छह ग्रहण लग रहे हैं, जिनमें चार सूर्यग्रहण तथा दो चन्द्रग्रहण शामिल है। आज का पूर्ण चन्द्रग्रहण रात ग्यारह बजकर 52 मिनट से शुरू हुआ। चंद्रग्रहण प्रारंभ होने से कुछ समय पहले ही विश्व प्रसिद्ध तिरुमला, बदरीनाथ, केदारनाथ, संकटमोचन मंदिर सहित देश के कई अन्य मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए।
वर्ष के चार में से दो सूर्यग्रहण चार जनवरी तथा दो जून को लग चुके हैं, जबकि बाकी दो सूर्यग्रहण एक जुलाई तथा 25 नवंबर को लगेंगे। वर्ष का दूसरा और अंतिम चन्द्रग्रहण 10 दिसंबर को लगेगा। इस प्रकार पिछले एक पखवाड़े में दो ग्रहण और एक जून से एक जुलाई तक एक महीने में लगातार तीन ग्रहण लग रहे हैं। इस बार ऐसा भी दुर्लभ संयोग बन रहा है कि एक महीने की अवधि में पड़ने वाली तीनों ग्रहण- दो अमावस्याओं तथा एक पूर्णिमा पर लग रहे हैं। ज्ञातव्य है कि सूर्यग्रहण केवल अमावस्या को और चन्द्रग्रहण पूर्णिमा को लगता है।
पूर्णिमा तथा अमावस्या को सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी एक सीध पर होते हैं। पृथ्वी के अपनी कक्षा पर साढ़े तेईस अंश झुकी होने के कारण प्रत्येक पूर्णिमा तथा अमावस्या पर ग्रहण की स्थिति नहीं बनती और सामान्यत: वर्ष में तीन-चार से ज्यादा ग्रहण नहीं लगते।
बुधवार को पूर्णिमा के दौरान यूं तो चांद आमतौर से कम रौशन था मगर पृथ्वी के वातावरण से गुजर कर चंद्रमा तक पहुंच रही सूर्य की किरणों ने उसकी रंगत को गहरे लाल रंग में बदल दिया।
नेहरू प्लेनेटोरियम की निदेशक एन. रत्नाश्री ने बताया कि यह सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण है क्योंकि इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे गहरे छाया वाली जगह पर पहुंच गया था। बुधवार की रात चंद्रग्रहण का यह नजारा पूरे 100 मिनट तक लोगों को देखने को मिला। इससे पहले इससे लंबी अवधि का चंद्र ग्रहण वर्ष 2000 की जुलाई में लगा था। इस प्रकार का अगला चंद्र ग्रहण अब 2141 में लगेगा। आंशिक चंद्रग्रहण 3 बजकर 32 मिनट 15 सेकंड पर समाप्त हुआ।
चंद्र ग्रहण शुरू होने के समय जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आनी शुरू हुई तब धीरे-धीरे चंद्रमा का एक कोना अंधेरा होना शुरू हुआ। जब पृथ्वी की छाया और गहरी हुई तब चांद का चेहरा लाल हो गया। गौरतलब है कि एक चंद्र ग्रहण तब होता है जब अपनी धुरी पर घूमती पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब ये तीनो एक सीधी लाइन में होते हैं।